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कविता -14-Dec-2022

महफिल रास नहीं आई हमको

वो जो नही था आज महफिल में
दर्द से भीगी पलकों के साथ देखने के लिए
आज वो हिम्मत नही कर पाया उदास देखना हमको
आज महफिल में हम हुए बदनाम
कि वो आया नहीं आज करने महफिल_ए _शाम
गवारा नही था हमको भी कहना उसको बेईमान
पर दिल का सौदा करके वो कर गया मुझ नादान को परेशान
बस इतना ही कह के गया वो जाते जाते
हो गई उसकी महफिल उसके बिना आज शमशान
न होगी कोई गजल न कोई नज्म
बस होगी तो होगी चारों तरफ बेवफाई सरेआम

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2 Comments

Sachin dev

15-Dec-2022 05:31 PM

बहुत खूब

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VIJAY POKHARNA "यस"

14-Dec-2022 04:46 PM

बहुत सुंदर

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